परमेश्वर: हमारी महिमा
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- 25 अग॰
- 2 मिनट पठन
भजन संहिता 8
भजन संहिता 8 में दाऊद हमारी आँखों को सामान्य से ऊपर उठाकर परमेश्वर की महिमा की ओर ले जाता है। यह भजन हमें याद दिलाता है कि हमारी असली पहचान और मूल्य हमारे भीतर नहीं, बल्कि उस परमेश्वर की महिमा में पाए जाते हैं जिसने हमें रचा है।
1. परमेश्वर की प्रकट महिमा (पद 1–2)
दाऊद इस भजन की शुरुआत और अंत एक ही वाक्य से करता है:“हे यहोवा, हमारे प्रभु, तेरा नाम सारी पृथ्वी पर कितना महान है!”
परमेश्वर की महिमा आकाश और पृथ्वी को भर देती है—उसके बाहर कुछ भी नहीं है। सृष्टि स्वयं उसकी महिमा को प्रकट करने वाला एक कैनवास है। और फिर भी, यह अनंत और महान परमेश्वर हमारे पास संबंध में आता है। उसकी शक्ति धमकी से नहीं, बल्कि निर्बलता के माध्यम से दिखाई देती है—यहाँ तक कि बच्चों की बड़बड़ाहट से भी वह अपने शत्रुओं को चुप करा देता है। परमेश्वर निर्बलता से विजय पाता है।
2. हमारी प्राप्त महिमा (पद 3–5)
जब दाऊद रात के आकाश की ओर देखता है—चाँद, तारे, जो उसकी उँगलियों के काम हैं—तो वह अपनी ही नगण्यता को महसूस करता है। “मनुष्य क्या है कि तू उसका स्मरण रखे?”
फिर भी, आश्चर्य की बात है कि परमेश्वर मनुष्य को महिमा और आदर का मुकुट पहनाता है। सृष्टि की विशालता के सामने हम छोटे लगते हैं, परन्तु परमेश्वर ने हमें अपने स्वरूप में बनाकर राजसी गरिमा दी है। हमारा मूल्य आत्म-गौरव में नहीं, बल्कि उस अनन्त परमेश्वर की दृष्टि में है जो हमें याद रखता है और हमारी चिन्ता करता है।
3. हमारी परावर्तित महिमा (पद 6–9)
यह दी हुई महिमा एक बुलाहट के साथ आती है। परमेश्वर ने मनुष्य को सृष्टि पर प्रभुत्व दिया है—अपने को ऊँचा दिखाने के लिए नहीं, बल्कि उसकी महिमा को प्रतिबिंबित करने के लिए। हमें उसकी छवि बनकर जीना है—उसकी बुद्धि, प्रेम, सृजनशीलता और अनन्तता को अपने जीवन में दर्शाना है।
हम दुर्घटना नहीं हैं; हम परमेश्वर की कलाकृति हैं, जिन्हें उद्देश्य और प्रेम के साथ बनाया गया है।
लेकिन समस्या यह है कि हम टूटे हुए दर्पण जैसे हैं। हम उसकी महिमा को सही ढंग से प्रतिबिंबित नहीं करते। फिर भी परमेश्वर ने हमें नहीं छोड़ा। उसने अपने पुत्र यीशु मसीह को भेजा—जो परमेश्वर की सच्ची छवि है—ताकि वह हमारे लिए मृत्यु का स्वाद चखे और हमें फिर से महिमा में बहाल करे।
क्रूस पर यीशु ने पुकारा: “हे मेरे परमेश्वर, तू ने मुझे क्यों छोड़ दिया?” यह सब इसलिए कि हमें पिता की प्रेमपूर्ण दृष्टि फिर से प्राप्त हो सके।
निष्कर्ष
भजन संहिता 8 हमें सिखाता है कि—
परमेश्वर स्वभाव से ही महिमामयी है।
हमारी असली गरिमा और पहचान उसी से मिलती है।
हमारा उद्देश्य है कि हम उसकी महिमा का प्रतिबिंब धरती पर दिखाएँ।
और जब हम असफल होते हैं, तो यीशु हमें छुड़ाकर फिर से उस अनन्त प्रेमपूर्ण दृष्टि में ले आता है।
हमारा महत्व, हमारी पहचान, और हमारी सच्ची महिमा केवल परमेश्वर में है।
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